2025 में स्कूटर खरीदना सिर्फ एक वाहन लेने का फैसला नहीं है, ये आपकी पूरी लाइफस्टाइल पर असर डालने वाला कदम बन गया है। पुराने ज़माने में सवाल होता था, “कितना देती है?” अब सवाल है, “EV लोगे या पेट्रोल?” एक तरफ हैं पेट्रोल स्कूटर, जो सालों से हमारी सड़कों के बादशाह रहे हैं। दूसरी तरफ हैं इलेक्ट्रिक स्कूटर, जो शांत, स्मार्ट और सब्सिडी के दम पर तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं।
हर जगह EV की चर्चा है। सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब रिव्यू तक, हर कोई कहता है कि इलेक्ट्रिक ही फ्यूचर है। लेकिन क्या ये फ्यूचर आपकी रोज़ की ज़िंदगी में फिट बैठता है? आपकी 30 किमी की डेली अप-डाउन, बिजली की कटौती, या फिर अचानक रात को दवा लेने जाना — इन हालात में कौन सा स्कूटर टिकेगा?
और क्या पेट्रोल स्कूटर अब आउटडेटेड हो गए हैं या फिर ये चुपचाप एक नया अवतार ले रहे हैं?
ये आर्टिकल कोई बोरिंग तुलना नहीं है। ये एक साफ, तगड़ा और ईमानदार गाइड है, जिसमें कीमत से लेकर परफॉर्मेंस, सर्विस से लेकर रीसेल वैल्यू तक हर पहलू का रियलिटी चेक मिलेगा। अगला सेक्शन शुरू करें?
2025 में क्या बदल गया है?
2025 तक पहुंचते-पहुंचते भारत में टू-व्हीलर मार्केट की तस्वीर काफी बदल चुकी है। अब सिर्फ माइलेज या ब्रांड से फैसला नहीं होता। अब बैटरी टेक्नोलॉजी, चार्जिंग नेटवर्क और सरकारी नीतियां भी सीधे असर डालती हैं।
पहले इलेक्ट्रिक स्कूटर को लोग एक एक्सपेरिमेंट की तरह देखते थे। अब यह आम हो चुका है। Ola S1 Pro, TVS iQube, Bajaj Chetak और Ather 450X जैसे स्कूटर अब सड़कों पर सामान्य नज़र आते हैं। लोग सिर्फ पर्यावरण की चिंता से नहीं, बल्कि पैसे बचाने और स्मार्ट फीचर्स के लिए भी EV ले रहे हैं।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर हुआ है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में चार्जिंग पॉइंट्स अब मॉल, मेट्रो स्टेशन और ऑफिस पार्किंग में भी मिल रहे हैं। साथ ही अब कई स्कूटरों में डिटैचेबल बैटरी मिलने लगी है, जिससे आप उसे निकालकर अपने घर या ऑफिस में चार्ज कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए बड़ा फायदा है जो अपार्टमेंट में रहते हैं।
सरकारी सपोर्ट भी जारी है। FAME II योजना की जगह अब EMPS लागू हो गई है। इसके तहत कुछ चुनिंदा ब्रांड्स को सब्सिडी दी जा रही है, जिससे कीमत में ₹10,000 से ₹25,000 तक की राहत मिल सकती है। कई राज्यों में रोड टैक्स माफ है और GST सिर्फ 5 प्रतिशत है, जबकि पेट्रोल स्कूटर पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता है।
मतलब अब चुनाव सिर्फ पेट्रोल या इलेक्ट्रिक का नहीं है। असली सवाल यह है कि आपकी राइडिंग स्टाइल और शहर की सुविधाएं किस विकल्प को सही बनाती हैं।
शुरुआती कीमत: कौन सस्ता पड़ता है?
जब बात आती है स्कूटर खरीदने की, तो जेब सबसे पहले जवाब मांगती है। पेट्रोल स्कूटर जैसे Honda Activa 6G या TVS Jupiter की शुरुआती कीमत ₹85,000 से ₹95,000 (एक्स-शोरूम) के बीच होती है। दूसरी ओर, इलेक्ट्रिक स्कूटर जैसे TVS iQube, Bajaj Chetak या Ola S1 की शुरुआती कीमत ₹1.10 लाख से ₹1.40 लाख तक जाती है।
यानी पहली नजर में पेट्रोल स्कूटर सस्ते लगते हैं। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
अगर आप दिल्ली, महाराष्ट्र या गुजरात जैसे राज्यों में रहते हैं, तो EV पर ₹10,000 से ₹25,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है। इसके अलावा, EV पर GST सिर्फ 5% है जबकि पेट्रोल स्कूटर पर 18%। रोड टैक्स भी कई राज्यों में माफ है।
इसका मतलब है कि एक EV जिसकी ऑन पेपर कीमत ₹1.25 लाख है, वो सब्सिडी और टैक्स छूट के बाद लगभग ₹1.05 लाख तक आ सकती है। यानी अब पेट्रोल और EV के दामों में ज़्यादा फर्क नहीं बचा, खासकर अगर आप मिड-रेंज से ऊपर के पेट्रोल स्कूटर से तुलना कर रहे हैं।
नतीजा: अगर आप बेसिक मॉडल ले रहे हैं तो पेट्रोल स्कूटर सस्ता पड़ेगा। लेकिन EV की सब्सिडी और टैक्स छूट को जोड़ें, तो दोनों की कीमत लगभग बराबर हो जाती है।
चलाने का खर्च: असली खेल तो यही है
एक बार स्कूटर खरीदने के बाद असली खर्च हर दिन की सवारी में छिपा होता है। और यही वो जगह है जहां EV पेट्रोल स्कूटर से मीलों आगे निकल जाता है।
मान लीजिए आप रोज़ 30 किलोमीटर चलाते हैं। अब देखते हैं खर्च का फर्क:
पेट्रोल स्कूटर
औसतन 45 km/l का माइलेज और ₹100 प्रति लीटर का पेट्रोल रेट मानें, तो
₹30 किलोमीटर = ₹60 रोज़
₹60 × 30 दिन = ₹1,800 प्रति माह
₹1,800 × 12 महीने = ₹21,600 सालाना
5 साल = ₹1,08,000 सिर्फ पेट्रोल में
इलेक्ट्रिक स्कूटर
EV आमतौर पर 30 पैसे प्रति किलोमीटर के खर्च पर चलते हैं।
₹30 किलोमीटर = ₹9 रोज़
₹9 × 30 दिन = ₹270 प्रति माह
₹270 × 12 महीने = ₹3,240 सालाना
5 साल = ₹16,200
फर्क?
सिर्फ चार्जिंग में ही आपको 5 साल में ₹90,000 से ज़्यादा की बचत मिल सकती है।
और यह भी याद रखें कि EV की चार्जिंग आप घर पर भी कर सकते हैं, जिससे खर्च और भी कंट्रोल में रहता है। वहीं पेट्रोल के रेट कभी भी बढ़ सकते हैं।
नतीजा: रोज़मर्रा की सवारी में EV आपको लगातार पैसे बचाकर देगा। पेट्रोल स्कूटर को हर दिन जेब से थोड़ी और चुभन होती है।
मेंटेनेंस और बैटरी रिप्लेसमेंट का गणित
पेट्रोल स्कूटर की सर्विसिंग कोई नई बात नहीं है। हर 3–4 महीने में ऑयल चेंज, स्पार्क प्लग, एअर फिल्टर, चेन टेंशन और कभी-कभी कार्बोरेटर की सफाई जैसी चीज़ें करनी ही पड़ती हैं। ये छोटे-छोटे खर्चे हर बार ₹1,000–₹2,000 तक जाते हैं, और सालाना ₹6,000 से ₹8,000 तक पहुंच जाते हैं।
अब EV की बात करें। इसमें इंजन नहीं होता, इसलिए ना ऑयल बदलवाना पड़ता है, ना ही स्पार्क प्लग की झंझट। ब्रेक पैड और टायर चेक के अलावा ज्यादातर मेंटेनेंस बेहद कम होता है। EV का सालाना मेंटेनेंस लगभग ₹2,500 ही होता है।
तो 5 साल में:
पेट्रोल स्कूटर मेंटेनेंस = ₹35,000 से ज़्यादा
EV मेंटेनेंस = ₹12,500
लेकिन EV की असली चिंता बैटरी होती है। अधिकतर स्कूटर्स की बैटरी लाइफ 4–5 साल होती है। इसके बाद बैकअप कम होने लगता है या बैटरी बदलवानी पड़ती है। एक अच्छी लिथियम-आयन बैटरी ₹45,000 से ₹70,000 तक आ सकती है।
अगर आपकी बैटरी वारंटी में है, तो यह खर्च बच सकता है। पर अगर वारंटी खत्म हो चुकी है, तो बैटरी बदलवाना पड़ेगा, जो कुल लागत को बढ़ा सकता है।
नतीजा: EV शुरुआती 4 साल में मेंटेनेंस में पैसा बचाता है, लेकिन 5वें साल में बैटरी के कारण बड़ा झटका लग सकता है। ध्यान रखें कि कुछ कंपनियां 3–5 साल की बैटरी वारंटी देती हैं, जो इस खर्च को काफी हद तक टाल सकती है।
परफॉर्मेंस और रेंज: किसमें है ज्यादा दम?
जब रफ्तार, रेंज और भरोसे की बात आती है, तो पेट्रोल स्कूटर अब भी मैदान में मजबूत खिलाड़ी हैं। एक फुल टैंक पेट्रोल स्कूटर आसानी से 250 से 300 किलोमीटर तक चल सकता है। रिफ्यूलिंग का झंझट भी नहीं है—सिर्फ 2 मिनट में टंकी फुल और आप फिर से तैयार। हाईवे राइडिंग, लंबी दूरी या पूरे दिन डिलीवरी जैसी जरूरतों के लिए यह अब भी सबसे ज़्यादा प्रैक्टिकल ऑप्शन है।
EV स्कूटर्स की परफॉर्मेंस पिछले कुछ सालों में काफी बेहतर हुई है। Ather 450X और Ola S1 Pro जैसे स्कूटर्स अब 90 से 105 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड दे रहे हैं। लेकिन इनकी रेंज आम तौर पर 100 से 140 किलोमीटर के बीच रहती है, जो शहर में अप-डाउन के लिए तो ठीक है, लेकिन लंबे सफर पर भरोसा थोड़ा कमजोर लगता है।
चार्जिंग टाइम भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। नॉर्मल चार्जर से EV को चार्ज होने में 4 से 6 घंटे लगते हैं। फास्ट चार्जिंग ऑप्शन मौजूद हैं, लेकिन वो हर जगह नहीं हैं और हर यूज़र के लिए सुलभ नहीं होते।
कुल मिलाकर, अगर आपकी रोज़ की दूरी 25 से 50 किलोमीटर के बीच है, तो EV एकदम फिट बैठता है। लेकिन अगर आपकी राइडिंग लंबी होती है, और हर मोड़ पर बैटरी की चिंता नहीं करनी, तो पेट्रोल स्कूटर अभी भी बेहतर परफॉर्मर है।
चार्जिंग बनाम रिफ्यूलिंग: कितना झंझट?
पेट्रोल स्कूटर की सबसे बड़ी ताकत है इसकी सुविधा। पेट्रोल पंप लगभग हर जगह मिल जाते हैं। चाहे रात के 11 बजे हों या हाईवे पर, 2 मिनट में टंकी फुल कराके निकल सकते हैं। यही वजह है कि पेट्रोल स्कूटर आज भी लॉन्ग ट्रिप्स और इमरजेंसी राइड्स के लिए सबसे भरोसेमंद ऑप्शन माना जाता है।
अब बात करें EV स्कूटर्स की, तो यहां मामला थोड़ा अलग है। होम चार्जिंग के लिए आपको एक फिक्स इलेक्ट्रिक पॉइंट चाहिए, जो हर किसी के पास नहीं होता। खासकर अपार्टमेंट्स में जहां पार्किंग के पास चार्जिंग पॉइंट नहीं होता, वहां ये एक बड़ी दिक्कत बन जाती है।
हालांकि इस समस्या के हल भी आ रहे हैं। आजकल ज्यादातर प्रीमियम EV स्कूटर्स में डिटैचेबल बैटरी मिलती है, जिसे आप घर के अंदर ले जाकर चार्ज कर सकते हैं। यानी अब स्कूटर को चार्जिंग पॉइंट तक ले जाने की जरूरत नहीं।
इसके अलावा कुछ शहरों में बाउंस, युलु और सन मोबिलिटी जैसी कंपनियां बैटरी स्वैपिंग स्टेशन चला रही हैं। वहां आप अपनी डिस्चार्ज बैटरी देकर चार्ज की हुई बैटरी ले सकते हैं और फिर से सवारी शुरू कर सकते हैं। लेकिन ये सुविधा अभी सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित है।
तो अगर आपके पास घर में चार्जिंग की सुविधा है या आप मेट्रो सिटी में रहते हैं, तो EV स्कूटर चलाना आसान है। लेकिन अगर आप छोटे शहर या गांव में रहते हैं जहां चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर कम है, तो पेट्रोल स्कूटर अब भी ज्यादा सुविधा वाला ऑप्शन रहेगा।
लंबे समय की लागत: 5 साल का हिसाब
सिर्फ खरीदते वक्त का दाम देखकर फैसला लेना अधूरा है। असली खेल तब शुरू होता है जब आप स्कूटर को रोज़ाना 30 किलोमीटर चलाते हैं और उसका 5 साल का खर्च जोड़ते हैं। चलिए एक सिंपल कैलकुलेशन से समझते हैं कि EV और पेट्रोल स्कूटर में कितना अंतर आता है।
पेट्रोल स्कूटर का खर्च:
- फ्यूल खर्च: ₹66 प्रतिदिन × 365 = ₹24,000 सालाना → 5 साल में ₹1,20,000
- मेंटेनेंस: ₹6,000–₹7,000 सालाना → 5 साल में ₹30,000–₹35,000
- कुल खर्च: ₹1,50,000–₹1,55,000 (रीसेल वैल्यू को छोड़कर)
इलेक्ट्रिक स्कूटर का खर्च:
- चार्जिंग खर्च: ₹10 प्रतिदिन × 365 = ₹3,600 सालाना → 5 साल में ₹18,000
- मेंटेनेंस: ₹2,500 सालाना → 5 साल में ₹12,500
- बैटरी रिप्लेसमेंट: अगर जरूरत पड़ी तो ₹45,000–₹60,000 (वॉरंटी खत्म होने पर)
- कुल खर्च: ₹30,000 (अगर बैटरी वॉरंटी में है) से लेकर ₹80,000 तक (अगर बैटरी बदलनी पड़ी)
निष्कर्ष:
अगर बैटरी वॉरंटी में है, तो इलेक्ट्रिक स्कूटर का लॉन्ग-टर्म खर्च पेट्रोल से काफी कम आता है। और अगर बैटरी बदलनी भी पड़े, तो भी शहर की डेली राइडिंग के लिहाज़ से पेट्रोल स्कूटर के मुकाबले पैसे बच सकते हैं। सही मॉडल और बैटरी वॉरंटी चुनकर आप लंबी अवधि में बड़ा फायदा उठा सकते हैं।रूर ध्यान में रखें।टरी बदलनी भी पड़ी, तो भी पेट्रोल स्कूटर के मुकाबले पैसे बच सकते हैं — खासकर शहर की डेली राइडिंग में।
रीसेल वैल्यू: EV अभी थोड़ा पीछे, लेकिन…
पेट्रोल स्कूटर के लिए सेकेंड हैंड मार्केट सालों से मजबूत बना हुआ है। 5 साल पुराने स्कूटर भी 30 से 40 प्रतिशत तक की रीसैल वैल्यू आसानी से हासिल कर लेते हैं। खासकर अगर सर्विस रिकॉर्ड अच्छा हो और स्कूटर ठीक से मेंटेन किया गया हो, तो लोकल मार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खरीदार जल्दी मिल जाते हैं।
अब बात करते हैं EV की। इलेक्ट्रिक स्कूटर का सेकेंड हैंड मार्केट अभी नया है। यहां सबसे बड़ा सवाल होता है बैटरी की हालत। अगर स्कूटर की बैटरी अभी भी वॉरंटी में है या उसकी हेल्थ 80 प्रतिशत से ऊपर है, तो आपको अच्छी वैल्यू मिल सकती है। लेकिन जैसे ही बैटरी पुरानी होती है, या वॉरंटी खत्म हो जाती है, खरीदार पीछे हटने लगते हैं। उन्हें डर होता है कि बैटरी बदलवाने में ₹50,000 से ज़्यादा का खर्च आ सकता है।
कुछ EV ब्रांड अब बैटरी हेल्थ रिपोर्ट और सर्टिफाइड यूज़्ड प्रोग्राम भी देने लगे हैं, जिससे सेकेंड हैंड बिक्री में भरोसा बढ़ा है। फिर भी, पेट्रोल स्कूटर की तुलना में EV का रीसैल सिस्टम अभी पूरी तरह मेच्योर नहीं हुआ है।
नतीजा:
अगर आप जल्दी स्कूटर बदलने की सोचते हैं, तो पेट्रोल स्कूटर ज्यादा सेफ ऑप्शन है। लेकिन EV को अगर आप लंबे समय तक चलाने का प्लान रखते हैं, तो रीसैल वैल्यू की चिंता बहुत बड़ी नहीं बनती।
सरकारी सपोर्ट और सब्सिडी: EV को मिल रही है खुलकर मदद
सरकारी सपोर्ट और सब्सिडी: EV को मिल रही है खुलकर मदद
अगर आप 2025 में इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने की सोच रहे हैं, तो सरकार आपकी जेब का बोझ हल्का करने में पूरा साथ दे रही है। EV पर सिर्फ 5% GST लगता है, जबकि पेट्रोल स्कूटर पर आपको 18% GST चुकाना पड़ता है। यही नहीं, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में रोड टैक्स पूरी तरह माफ है या बहुत कम लिया जाता है।
FAME II स्कीम, जो 2019 से EVs पर भारी सब्सिडी दे रही थी, अब खत्म हो चुकी है। उसकी जगह सरकार ने EMPS 2024 (Electric Mobility Promotion Scheme) लॉन्च की है। इसके तहत अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच खरीदे गए EV टू-व्हीलर्स पर ₹5,000 प्रति किलोवॉट की सब्सिडी मिलती है, जो अधिकतम ₹10,000 तक जाती है।
हालांकि ये सब्सिडी पहले जितनी बड़ी नहीं है, लेकिन राज्य सरकारें अभी भी अपनी ओर से एक्स्ट्रा मदद दे रही हैं। उदाहरण के लिए:
- दिल्ली: ₹15,000 तक की अतिरिक्त सब्सिडी
- महाराष्ट्र: ₹10,000 से ₹25,000 तक की इंसेंटिव
- गुजरात: चार्जिंग स्टेशन इंस्टॉल करने पर भी सपोर्ट
इन सभी सरकारी पहलुओं का सीधा असर EV की ऑन-रोड कीमत पर पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि TVS iQube या Bajaj Chetak जैसे स्कूटर, सब्सिडी के बाद एक प्रीमियम पेट्रोल स्कूटर जितने ही सस्ते पड़ते हैं।
निष्कर्ष: सरकार EV को जितना प्रमोट कर रही है, उतना पेट्रोल स्कूटर को नहीं। इसलिए अगर आप थोड़ा रिसर्च करें और सही समय पर खरीदें, तो आपको एक शानदार डील मिल सकती है।
तो अब क्या खरीदें?
अगर आप सिर्फ सस्ते दाम और लंबी राइड के लिए स्कूटर ढूंढ रहे हैं, तो पेट्रोल स्कूटर आज भी एक मजबूत ऑप्शन है। पेट्रोल हर जगह मिलता है, रिफ्यूलिंग में वक्त नहीं लगता, और सर्विस सेंटर भी हर गली-मोहल्ले में मिल जाते हैं। लॉन्ग टर्म में इसका रीसैल भी आसान होता है।
दूसरी तरफ, अगर आपकी राइडिंग ज्यादातर शहर के अंदर है, दिन में 30-40 किलोमीटर तक ही चलाना होता है, और आपके पास चार्जिंग की सुविधा है, तो इलेक्ट्रिक स्कूटर बहुत स्मार्ट चॉइस हो सकता है। खासकर अगर आप मेंटेनेंस से बचना चाहते हैं और लंबी बचत चाहते हैं।
फैसला आपका है। हर यूज़र का रूटीन, बजट और ज़रूरत अलग होती है। लेकिन 2025 में इतना तो तय है — अब स्कूटर सिर्फ स्कूटर नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल चॉइस बन चुका है।